Sunday, March 5, 2017

Good Morning

✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 *ऐ परिंदे!!* *यूँ ज़मीं पर बैठकर क्यों* *आसमान देखता है..* *पंखों को खोल, क्योंकि,* *ज़माना सिर्फ़ उड़ान देखता है!* *लहरों की तो फ़ितरत ही है* *शोर मचाने की..* *लेकिन मंज़िल उसी की होती है,* *जो नज़रों से तूफ़ान देखता है !!*         🙏🏾🙏🏾...