✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
*ऐ परिंदे!!*
*यूँ ज़मीं पर बैठकर क्यों*
*आसमान देखता है..*
*पंखों को खोल, क्योंकि,*
*ज़माना सिर्फ़ उड़ान देखता है!*
*लहरों की तो फ़ितरत ही है*
*शोर मचाने की..*
*लेकिन मंज़िल उसी की होती है,*
*जो नज़रों से तूफ़ान देखता है !!*
🙏🏾🙏🏾...
*अच्छे इन्सान की सब से पहली*
*और सब से आखिरी निशानी*
*ये हैं कि*
*वो उन लोगों की भी इज्जत करता है*,
*जिन से उसे किसी किस्म के*
*फायदे की उम्मीद नही होती...*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏सुप्रभात🙏
🌹आपका...